Introduction Of Computer And Windows Operating System

 

कम्प्यूटर एवं विंडोज ओपरेटिंग सिस्टम का परिचय

(Introduction Of Computer And Windows Operating System)





कम्प्यूटर: एक परिचय

Computer : An Introduction

कम्प्यूटर एक तीव्र शत प्रतिशत सही परिणाम देने वाली इलेक्ट्रोनिक मशीन है, जो संग्रह किए गए डाटा के आधार पर या यूजर से प्राप्त डाटा की बीजगणितीय एवं तार्किक क्रिया कर आउटपुट प्रदान करती है।

(Computer is an electronic machine which receives data from user and after performing arithmetic and logical calculations a gives result to user ads user wants.)

कम्प्यूटर शब्द कम्प्यूट (Compute) से बना है जिसका अर्थ है गणना । अतः कम्प्यूटर का अर्थ है गणना करने वाली मशीन।

प्रयोगकर्ता इनपुट(की बार्ड, माउस इत्यादि) की सहायता से डाटा कम्प्यूटर को देता है। दिए गए निर्देशों केे अनुसार कम्प्यूटर प्राप्त डाटा पर प्रोसेसिंग करता है। एवं आउटपुट उपकरणों के द्वारा इच्छित परिणाम यूजर को प्रदान करता है। कम्प्यूटर शत-प्रतिशत सही परिणाम देने वाली मशीन है। कम्प्यूटर तब ही गलत परिणाम देता है जब या तो यूजर के द्वारा गलत डाटा इनपुट दिया जाता हो या प्रोंसेसिग कि लिए गलत निर्देश दिया गया हो।

कम्प्यूटर को हम निम्न प्रकार आरेखित कर सकते है।


कम्प्यूटर का इतिहास

¼History of Computer½

कम्प्यूटर का इतिहास कई वर्षाें पुराना है। मूल रूप से कम्प्यूटर का विकास गणितिय गणनाओं को आसानी से करने के लिए किया गया था। आज कम्प्यूटर का प्रयोग गणितीय गणनाओं के अलावा विभिन्न कार्याें में भी किया जाता है।

कम्प्यूटर के विकास क्रम को तीन भागों में बांटा जा सकता है।

1.1 डार्क ऐज 

उस समय के सभी कम्प्यूटर इलैक्ट्रो-मैकेनिकल थे। डार्क ऐज का इतिहास अबेकस से शुरू हुआ। इससे पहले मनुष्य गणना के लिए छोटे-छोटे पत्थर या धातुओं पर खरोंच करके गणना का कार्य करना था।


1. अबेकस
अबेकस गणना की प्राचीनतम् मशीन मानी जाती है। जो कि चीन में 3000 वर्ष पहले बनाई गई थी। अबेकस को आज भी सोवियत संघ, जापान एवं भारत में भी प्राथमिक शिक्षा के लिए काम में लिया जा रहा है।
इस उपकरण में एक लकड़ी का फ्रेम होता है। जो दो भागों में बंटा रहता है।

ऊपरी भाग को हैवन तथा निचले भाग को अर्थ कहा जाता है। इस फ्रेम में क्षैतिज छड़े लगी होती है।जिनमें गोल मोती लगे होते है। इस मोतियों को एक तरफ से दूसरी तरफ खिसकाकर गणना की जाती है। सबसे ऊपर वाली लाइन इकाई दूसरी लाइन दहाई, तीसरी लाइन सैकड़ा .......................... अंको का मान व्यक्त करती है।

अबेकस का नियमित रूप से उपयोग करने वाला व्यक्ति अबेकस के द्वारा केलकुलेटर के समान तेज गति से गणनाएं कर सकता हैं।

2. एनालाॅग मशीन एवं नैपियर बोन्स

Analog Machine and Napier’s Bones

अबेकस के बाद सन् 1617 में स्काॅटलैड Scotland के एक गणितज्ञ जाॅन नैपियर Jone Napierने हड्डियों की छड़ों का उपयोग कर एक ऐसी मशीन का निर्माण किया जो गुणा Multiplication का कार्य भी कर सकती थी इसलिए इस मशीन का नाम नैपियर बोन्स Napier’s Bones रखा गया।

3. ब्लेज पास्कल का यांत्रिक कैल्कुलेटर 

Mechanical Calculator of Blaise Pascal

सन् 1942 में ब्लेज पास्कल ¼Blaise Pascal) ने पहली यांत्रिक मशीन बनाई जो जोड़ व बाकी का कार्य कर सकती थी पास्कल ने 18 वर्ष की उम्र में अपने पिता को कर की गणना में मदद करने के लिए इस मशीन को बनाया।

पास्कल की इस एडिंग मशीन को पास्कलाइन कहा गया। पास्कल ने इस मशीन में कई गियरो व परियों का उपयोग किया। प्रत्येक पहिए में 10 खण्ड ¼ Segment½ थे जैसे वर्तमान के स्कूटर और कारो में किलोमीटर मापने के लिए स्पीडोमीटर काम करते है।

यह मशीन खूब प्रचलित हुई। बाद में जर्मन वैज्ञानिक गोटफ्रेड लैबनीज (Gottfried Leibniz) ने 1671 में पास्कलाइन में कई सुधार करके इसका विकसित रूप तैयार किया जो जोड़ने तथा घटाने के साथ गुणा और भाग का कार्य भी करती थी। इसे रेकनिंग मशीन (Reckoning Machine) कहते थे।


4. चाल्र्ज बैबेज का डिफरेन्स व एनालिटिकल इंजन 1-  

(Difference and analytical Engine of Charles babbage)

 चाल्र्स बैबेज कम्प्यूटर इतिहास मेें महान व्यक्ति थे जिन्होंने डिफरेन्स इंजन बनाया। चाल्र्स बैबेज को आधुनिक कम्प्यूटर का जन्मदाता (Father of Modern Computer) माना जाता है। क्योंकि सर्वप्रथम बैबेज ने ही कम्प्यूटर आविष्कार की महत्त्वपूर्ण परिकल्पना की थी। इस मशीन के द्वारा सारणियों का निर्माण किया जाता था।

इस मशीन में गियर व शाफ्ट लगे थे तथा यह भाप से चलती थी। यह पूर्णतः स्वचालित मशीन(Automatic Machine)  थी। यह 60 जोड़ एक मिनट मेे कर सकती थी एवं इसमें मेमोरी भी थी। यह प्रोगाम के निर्देशों द्वारा नियंत्रित होती थी।

1833 में बैबेज ने एक अन्य मशीन का आविष्कार किया जिसे एनालिटिकल इंजन (Analytical Engine) कहा गया। यह मशीन दशमलव के 50 वें स्थान तक गणना कर सकती थी। तथा इस प्रकार की 1000 तक संख्याएं इसमें संग्रहित की जा सकती थी। 

इस मशीन के लिए निर्देश पंच कार्ड पर संग्रहित किए जाते थे।

निर्देशों को पंच कार्ड पर संग्रहण करेने का विचार उन्हें जोसेफ जैकार्ड की लूम मशीन से मिला जिसमें पहली बार पंच कार्डाें का प्रयोग किया गया।

इस मशीन द्वारा पूर्णाक संख्या का वर्गमूल भी ज्ञात किया जा सकता था। इस मशीन द्वारा परिणाम स्वतः प्रिंट हो जाते थे।

एनालिटिकल इंजन के गुण (Feature of Analytical Engine) 

1. इसमें इनपुट उपकरण होते थे जिसकी सहायता से निर्देश व डाटा को पढ़ा जा सकता था।

2. इसमें संग्रहण (Storing)के लिए मेमोरी को प्रयोग किया गया।

3. इसमें आउटपुट उपकरण होते थे जिसकी सहायता से परिणाम प्रिंट किया जाता था।

बैबेज का कम्प्यूटर के क्षेत्र में किया गया कार्य बहुत अहम था हालांकि हमें आज के कम्प्यूटर का निर्माण करने में शताब्दी लगी लेकिन आज का माॅर्डन कम्प्यूटर चाल्र्स बैबेज का सपना था।

5. जैकार्ड की लूम मशीन (Jacquard’s Loom Machine)

जोसेफ मेरी जैकार्ड (1752-1834) फ्रांस का एक बुनकर और टैक्सटाइल इंजीनियर था। सन् 1801 में उसने एक ऐसी बुनाई मशीन का निर्माण किया, जिसमें बुनाई की डिजाइन डालने में छिद्र किए हुए कार्डाें का उपयोग किया जाता था। ये कार्ड एक अन्तहीन श्रंखला में एक बार-बार आते रहते थे इसलिए वह कार्डाें पर किए हुए छिद्रों के अनुसार बुनाई की डिजाइन डालने में समर्थ हो जाता था। दूसरे शब्दों में हम कह सकतें है कि बुनाई की डिजाइन का इनपुट उप कार्डाें पर था।

जैकार्ड की इस खोज का असली महत्व काफी समय बाद चाल्र्स बैबेज ने पहचाना। वास्तव में उन्होंने अपने एनालिटिकल इंजन की जो डिजाइन तैयार की थी। उसमें इनपुट देने का कार्य छिद्र किए हुए कार्डाें द्वारा ही किया जाना था।

चाल्र्स बैबेज के इस विचार को अमेरिका के डा. हर्मन होलेरिथ ने कार्यान्वित किया जो अमेरिका के जनगणना विभाग में कार्यरत थे। डाॅ. होलेरिथ ने टेबुलेटिंग मशीन  (Tabulating Machine) बनाई जो पूरी दुनिया में लोकप्रिय हुई एवं आगे चलकर होलेरिथ ने अपनी टेबुलेटिंग कम्पनी बनाई जो बाद में IBM (International Business Machine) के नाम से प्रसिद्ध हुई।

 6. ओगस्टा एडा   (Augusta Ada)

महिला वैज्ञानिक एडा ने बैबेज के सैद्धान्तिक काम पर क्रियाशील एनालिटिकल मशीन बनाकर दुनिया में प्रथम कम्प्यूटर प्रोग्रामर होने का गौरव प्राप्त किया बाद में वर्तमान कम्प्यूटर पर कार्य करने के लिए विभिन्न कम्प्यूटर भाषाओं का विकास किया गया।

इस महिला वैज्ञानिक को सम्मान प्रदान करने के लिए एक कम्प्यूटर भाषा एडा भी विकसित की गई।


1.2 मिडिल ऐज (Middle Age)

1. हर्मन होलेरिथ की टेबुलर मशीन (Tabular Machine of Herman)

 कम्प्यूटर के विकास में USA के वैज्ञानिक डाॅ हर्मन होलेरिथ  (Dr. Herman Hollerith) का बहुत योगदान रहा। 1880 की जनगणना में यह जनगणना विभाग में कार्यरत थे एवं बहुत ही कम समय में( लगभग 3 वर्षाें में ) इस मशीन के उपयोग से इन्होंने इस कार्य को सम्पन्न कराया। होलेरिथ की इस मशीन में पंच कार्ड का उपयोग किया जाता था। उन्होंने अपने कोड (Code) विकसित किए थे। जिन्हें होलेरिथ कोड कहा गया। इन कोड के द्वारा पंच कार्ड में सूचना का संग्रह करना सम्भव हो गया।

पंच कार्ड में जो छेद होते है वे 1 को प्रदर्शित करते हैं व जहां छेद नहीं होते हैं वह 0 को प्रदर्शित करते है। इस मशीन में डाटा को भविष्य के लिए संग्रहित करना सम्भव हो सका। होलेरिथ ने 1896 में एक कम्पनी खोली जिसमें उन्होंने यह मशीन बेचने का कार्य किया। 1924 में यह कम्पनी एक अन्य कम्पनी के साथ विलय होकर IBM (International Business Machine Corporation) के नाम से जानी जाने लगी। यह पहली यांत्रिक मशीन थी जो बिजली से चलती थी।

2.    एटानासाॅफ बेरी कम्प्यूटर Atanasoff- Berry Computer

            सन् 1939 में डाॅ. जाॅन एटानासाॅफ व उनके छात्र ई-बेरी ने USA के एक विश्वविद्यालय मेे जटिल गणनाओं के लिए कम्प्यूटर बनाने का प्रयास किया। सन् 1942 में इन्होंने एक कार्यशील Model तैयार कर लिया जिसमें मुख्य रूप से वैक्यूम ट्यूब उपकरण का उपयोग किया गया था। ABC कम्प्यूटर बाइनरी नम्बर सिस्टम पर आधारित था तथा संग्रह इकाई व अंकगणित लाॅजिक इकाई इसकी मुख्य विशेषताएं थी अर्थात् एटानासोंफ ने प्रथम इलैक्ट्राॅनिक डिजिटल कम्प्यूटर का आविष्कार किया।



  1.3 माॅर्डन ऐज (Modern Age)

 इस ऐज में इलैक्ट्राॅनिक कम्प्यूटर का विकास हुआ। 1930 व 1940 के मध्य में कई नामों के इलैक्ट्रोनिक कम्प्यूटर बाजार में आए। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हवाई जहाज की डिजाइन एवं मिलैट्री के कोड को तोड़ने के लिए इन कम्प्यूटर्स को काम में लिया गया। 1936 में वैज्ञानिक जर्मन इंजीनियर ने माॅडल यांत्रिक कम्प्यूटर Z1 का निर्माण किया गया। जिसमें नम्बर इनपुट करने के लिए की-बार्ड का प्रयोग किया। इसमें बाइनरी सिस्टम का प्रयोग किया गया।

Z1 में धीमें यांत्रिक स्विच को विद्युत रिले से बदल दिया और Z2 कम्प्यूटर का निर्माण किया। बाद में वैज्ञानिक Zuse नेs Z3 एवं Z4 का निर्माण किया

MARK-I

1994 में प्रोफेसर एनिएक (ENIC- Electronic Numerical Integrator And Calculator ) नेs IBM कम्पनी के साथ मिलकर पहला इलैक्ट्राॅनिक कम्प्यूटर बनाया, जो कि लेडी एडा के द्वारा विकसित निर्देशों पर कार्य करता था।

 MARK-I बीस डिजिट की दो संख्याओं को 5 सैकण्ड में गुणा कर सकता था और आवाज भी करता था।

हालांकि यह कम्प्यूटर इससे पहले बने कम्प्यूटरों से तेज गति से कार्य करता था लेकिन इसमें खराबी को ढूंढना मुश्किल कार्य था।

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