नदियों के
किनारे या संगम पर बने दुर्ग-
REET 2021 MOST IMPORTANT TOPIC
गागरोन का किला - आहु व काली सिंध नदी के संगम
पर।
भैसरोड़ गढ़ दुर्ग - चम्बल व बामानी नदियों के
संगम पर
मनोहर थाना दुर्ग - परवन व कालीखाड़ नदियों के
संगम पर
शेरगढ़ दुर्ग - परवन नदी के किनारे।
गढ़ पैलेस कोटा दुर्ग - चम्बल नदी के किनारे।
चित्तौड़गढ़ दुर्ग- गंभीरी और बेड़च नदियों के
संगम स्थल के निकट पहाड़ी पर।
सुवर्णगिरि दुर्ग - जालौर यह सूकड़ी नदी के
किनारे स्थित है
नदियों में या उनके निकट स्थित अभ्यारण्य:
राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल अभ्यारण्य-चम्बल नदी
जवाहर सागर अभ्यारण्य-चम्बल नदी
शेरगढ़ अभ्यारण्य बाराँ-परवन नदी
बस्सी अभ्यारण्य चित्तौड़गढ़-ओरई व बामनी
ब्राह्मणी नदियों का उद्गम
भैंसरोड़गढ़ चित्तौड़गढ़ -चम्बल व बामनी का संगम
पफुलवारी की नाल- मान्सी वाकल व सोम नदी
नदियों के त्रिवेणी संगम स्थल:
बनास-मेनाल-बेड़च-मेनाल भीलवाड़ा
माही-जाखम-सोम-बेणेश्वर डूँगरपुर
बनास-चम्बल-सीप- रामेश्वर घाट सवाईमाधेपुर
नदियों पर बसे प्रमुख नगर:
चम्बल-कोटा रावतभाटा केशवरायपाटन।
जवाई-सुमेरपुर पाली शिवगंज सिरोही
बेड़च-चित्तौड़गढ़ खारी-आसींद गुलाबपुरा विजयनगर
भीलवाड़ा बांडी-पाली
कालीसिंध-झालावाड़ प. बनास-डीसा गुजरात
लूनी-बालोतरा बाड़मेर
साबरमती-गाँधीनगर गुजरात
चन्द्रभागा-झालरापाटन
बनास- नाथद्वारा टोंक
सूकड़ी-जालौर
घग्घर- अनूपगढ़ व हनुमानगढ़
राजस्थान विशेष - राजस्थान का अपवाह तंत्र नदी
झील परियोजना
निर्माण जयपुर राजस्थान की झीलें
मीठे पानी की प्रमुख झीलें
जयसमंद ;ढेबर झीलद्ध
उदयपुर जिले में गोमती नदी पर स्थित राजस्थान
की मीठे पानी की सबसे बड़ी व विश्व की द्वितीय बड़ी कृत्रिम झील है।
इसका निर्माण 1687-91 में जयसिंह
द्वारा करवाया गया था। इस झील में कुल सात टापू है। जिनमें भील व मीणा रहते हैं।
सबसे बड़ा टापू बाबा का भागड़ा और सबसे छोटा टापू प्यारी है।
श्यामपुरा नहर व भाट नहर इस झील से सिंचाई के
लिए निकाली गई प्रमुख नहरें है।
इस झील पर आइसलैण्ड रिसोर्ट नामक होटल बनाया
गया है।
राजसमंद झील
यह झील राजसमंद जिले में स्थित है।
इस झील का निर्माण 1662-1680 ई.
में महाराणा राजसिंह द्वारा करवाया गया था।
इस झील के उत्तरी भाग नौ चैकी में संगमरमर के 25
शिलालेखों पर संस्कृत भाषा में मेवाड़ का इतिहास लिखा है।
रणछोड़ भट्टा द्वारा लिखित यह विश्व की सबसे बड़ा
शिलालेख है।
इस झील में गोमती नदी का पानी आकर गिरता है।
इस झील के तट पर विश्व प्रसि द्ध पुष्टि प्रधान
वैष्णव अराध्यधर्म श्री द्वारकाधीश का वैभवशाली मंदिर स्थित है।
यहाँ घेवर माता का प्रसि मंदिर है।
पिछोला झील
राणा लाखा के समय 14 वीं सदी में इस
झील निर्माण एक बनजारे द्वारा करवाया गया था।
उदयपुर में स्थित इस झील के दो टापूओं पर
जगमंदिर और जगनिवास दो महल बने है।
यह लिंक नहर के द्वारा फतेहसागर झील से जुड़ी
है।
नटनी का चबुतरा पिछोला झील के किनारे स्थित है।
पफतेहसागर झील
उदयपुर में स्थित इस झील का निर्माण 1988
में महाराणा जयसिंह ने कराया।
इसका पुननिर्माण महाराणा पफतेह सिंह ने 1888
में करवाया।
इसी कारण इसे पफतेहसागर झील कहते है।
इस झील में एक टापू है जिस पर नेहरू उद्यान
विकसित किया गया है। इस झील में सौर वैद्यशाला स्थापित की गई है
जिसके द्वारा सूर्य की क्रियाओं का अध्ययन किया
जाता है।
आनासागर झील ;बाड़ी नदी पर
निर्मितद्ध
पृथ्वी राज चैहान के पितामह आनाजी/अर्णोराज
द्वारा 1137 ई में निर्मित यह झील अजमेर में स्थित है।
जहाॅगीर ने यहाँ एक उद्यान ‘दौलतबाग’
बनवाया
जिसे अब‘सुभाष उद्यान कहा जाता है।
शाहजहाँ ने संगमरमर की ‘बारहदरी’
का
निर्माण करवाया जिसमें संगमरमर के 12 दरवाजे हैं।
पुष्कर झील
यह झील अजमेर से 11 किमी दूर
पुष्कर में स्थित है।
यह प्राकृतिक झील है तथा धर्मिक दृष्टि से
पवित्र झील है।
राजस्थान के इन प्रसिद्ध सरोवर के किनारे ब्रह्माजी
का सबसे प्राचीन एवं प्रसिद्ध मंदिर है।
यहाॅ प्रतिवर्ष कार्तिक माह में प्रसि मेला
लगता है।
पुष्कर को पंचम तीर्थ भी कहते है।
वेद व्यास ने इसी झील के किनारे महाभारत की
रचना की थी।
इस झील के किनारे मैडम मैरी के द्वारा महिला
घाट का निर्माण करवाया गया। जहाँ महात्मा गांधी की अस्थियां विसर्जित की गई इसलिए
वर्तमान में उसे गांधीघाट के नाम से जाना जाता है।
भौगोलिक मान्यताओं के अनुसार इसे ज्वालामुखी
निर्मित झील
माना जाता है।
इसी झील के किनारे विश्वामित्रा ने तपस्या की
थी जिसे इन्द्र
की अप्सरा मेनका ने भंग किया था।
ब्रहृााजी के मंदिर को वर्ष 2006 में राष्ट्रीय स्मारक के रूप में घोषित किया।
बालसमंद झील
जोधपुर में स्थित इस झील का निर्माण सन् 1159
में परिहार शासक बालक राव ने करवाया था।
पफाॅयसागर झील
अजमेर में स्थित इस झील का निर्माण अंग्रेज
इंजीनियर फाॅय के निर्देशन में बाढ़ राहत परियोजना के तहत 1891-92
में करवाया गया।
सिलीसेढ़ झील
अलवर जिले में स्थित इस झील निर्माण 1845
में महाराजा विनय सिंह ने करवाया।
महाराजा विनय सिंह ने अपनी रानी हेतु एक शाही
महल बनवाया जो आजकल लेक पैलेस होटल के नाम से जाना जाता है।
कोलायत झील
बीकानेर में स्थित यह झील कपिलमुनि का आश्रम
होने के कारण प्रसिद्ध है।
इसे शुष्क मरूस्थल का सुंदर मरू उद्यान कहा जा
सकता है। कार्तिक माह की पूर्णिमा को यहाँ प्रसिद्ध मेला लगता है।
कायलान झील
जोधपुर में स्थित इस झील द्वारा जोधपुर शहर की
पेयजल आपूर्ति का कार्य किया जाता है।
इसे वर्तमान स्वरूप महाराजा प्रताप सिंह के
द्वारा प्रदान किया गया।
दो पहाड़ियों के मध्य स्थित यह झील जोधपुर की
सबसे सुंदर झील है। इस झील के किनारे देश का प्रथम मरू वानस्पतिक उद्यान माचिया
सपफारी पार्क का निर्माण किया गया है।
उदयसागर झील
महाराणा उदयसिंह ने 1559-1565 के
बीच निर्माण करवाया।
उदयपुर स्थित इस झील में बेड़च नदी का पानी रोका
गया है।
नक्की झील
सिरोही जिले में स्थित राजस्थान की सबसे ऊँचाई
पर स्थित झील है जो माउण्ट आबू पर्वत पर स्थित है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस झील का निर्माण
देवताओं ने अपने नाखुनों से किया था।
राजस्थान का अपवाह तंत्र नदी झील परियोजना
निर्माण जयपुर
इस झील के पास पहाड़ी में हाथी गुफा स्थित है।
नक्की झील के किनारे की पहाड़ियों के बीच
रामकुण्ड के नीचे सोलहवीं शताब्दी का रघुनाथ जी का मंदिर स्थित है।
खारे पानी की झीलें
राजस्थान की खारे पानी की झीलें प्रमुख नमक
स्त्रोत है।
ये खारे पानी की झीलें टेथिस सागर का अवशेष
मानी जाती है।
1. सांभर झील- जयपुर जिले की पफुलैरा तहसील में
सांभर झील स्थित है
यह राज्य की सबसे बड़ी खारे पानी की नमक उत्पादक
झील है।
इस झील के प्रवर्तक चैहान शासक वासुदेव को माना
जाता है।
भारत के कुल नमक उत्पादन का 8.7
प्रतिशत नमक का उत्पादन यहीं होता है।
इसमें मंथा रूपनगढ़ खारी खण्डेला नदियाँ आकर
गिरती है हिन्दुस्तान साल्ट लिमिटेड द्वारा इस झील से उत्पादन का कार्य किया जाता
है।
यह जयपुर नागौर व अजमेर की सीमा को स्पर्श करती
है।
इसके किनारे सांभर माता का मंदिर संत
हिस्सादुददीन की दरगाह स्थित है।
इस झील को लोकतीर्थ देवयानी कहते हैं।
2. पचपदरा झील-
यह झील बाड़मेर के बालोतरा के पास पचपदरा
पचभद्रा नामक स्थान पर स्थित है।
यहाँ खारवाल जाति के लोग मोरली झाड़ी की टहनियाँ
का उपयोग नमक के स्फटिक बनाने में करते हैं।
यहाँ उत्तम किस्म का नमक तैयार होता है जिसमें 98
प्रतिशत तक सोडियम फ्रलोराइड की मात्रा पाई जाती है।
वर्तमान में रिफाईनरी स्थापना के कारण चर्चा
में।
श्रीमती सोनिया गांधी ने 22
सितम्बर 2013 को पचपदरा के साजियावाली गांव में रिफाईनरी का
शिलान्यास किया।
3. लूणकरणसर झील-
बीकानेर से लगभग 80 किमी. दूर
लूणकरणसर में यह झील स्थित है।
इस झील से नमक बहुत कम बनाया जाता है।
4. डीडवाना झील-
नागौर जिले में डीडवाना नगर के निकट यह नमकीन पानी
की झील है।
यहाँ का नमक खाने के अयोग्य होता है।
यहाँ निजी क्षेत्रा में नमक बनाने वाली
संस्थाओं का देवल कहा जाता है।
यहाँ राज्य सरकार का उपक्रम राजस्थान स्टेट
कैमिकल वक्र्स स्थापित है।
इस झील में सोडियम लवण के निर्माण हेतु सोडियम
सल्पफेट संयंत्र स्थापित है।
यहाँ के नमक में फ्रलोराइड की मात्रा अधिक होने
के कारण यह खाने योग्य नहीं है इसका उपयोग कागज उद्योग में होता है।
खारे पानी की अन्य झीलें
झील स्थान
कावोद जैसलमेर तालछापर चुरू रैवासा सीकर पफलौदी
जौधपुर डेगाना कुचामन नागौर
मीठे पानी की अन्य झीलें
गजनेर बीकानेर पीथमपुरी सीकर दुगारी नवलखा झील
बूँदी मानसरोवर झालावाड़ तलवाड़ा झील हनुमानगढ़ घड़सीसर झील जैसलमेर बुड्ढ़ा जोहड़ झील
गंगानगर बीसलपुर बांध टोंक
निर्माण कैप्सूल ✍
लिटिन रन:
कच्छ की खाड़ी के क्षेत्रा का मैदान।
राजस्थान में भीलवाड़ा सवाई माधेपुर और डँूगरपुर
में नदियों के त्रिवेणी संगम है।
उदयपुर की पिछोला झील को भरने वाली सीसारमा एवं
बुझड़ा नदी है।
खेतड़ी झुंुझुनू में पन्नालाल शाही का तालाब सेठ
पन्नालाल शाह ने 1870 में बनवाया था। स्वामी विवेकानंद जब खेतड़ी आए
थे तो उन्हें इसी तालाब के किनारे बने आवास में ठहराया गया था।
मावठा नामक झील
आमेर में स्थित है।
वाटर सफारी से संबंधित नदी चंबल है। चंबल भारत
की एकमात्रा नदी है जो जैव विविधता और नैसर्गिक सौंदर्य के बलबूते पर यूनेस्कों की
विश्व धरोहर में शामिल होने का दावा करती है।
राजस्थान में भूगर्भ में बहने वाली पानी के
मार्ग को सीर कहते हैं।
चैपड़ा झील पाली जिले में स्थित है।
प्रसिद्ध जाट शासक महाराजा सूरजमल द्वारा
निर्मित सुजानगंगा नहर है। जो लोहागढ़ दुर्ग के चारों और अवस्थित है।
एशिया का चिनाई वाला सबसे ऊँचा बांध जाखम बाँध
है।
भीलवाड़ा जिले में मेजा बांध की पाल पर विकसित
किए गए
मेजा पार्क को ग्रीन माउण्ट कहा जाता है।
मत्स्य बीज उत्पादन के लिए शुष्क बांध प्रजनन
केन्द्र ‘रावजी की तलाई उदयपुर’ जिले में हैं।
तरूण भारत संघ के सहयोग से अलवर के भावता गांव
में सांकड़ा बांध बनाया गया है।
जलेवार बाँध् झीलें व तालाब
अजमेर
आनासागर नारायणसागर लसाड़िया वसुन्दनी पफाॅयसागर
पफूलसागर शिवसागर रामसर बूढ़ा पुष्कर गूंदोलाव तालाब किशनगढ़ अजगरा लोरड़ी सागर।
अलवर
जयसमन्द मंगलसर सिलिसेढ़ जयसागर देवती हरसौरा
विजयसागर बावरिया
भरतपुर
बांध बैरठा अजान लालपुर मोती झील सेवर सीकरी
अवार सागर।
बूँदी
नवलखा झील नवलसागर जैतसागर जिगजैन बाँध लाखेरी
गुढ़ा बरध बूँदी का गोथड़ा भीमलत पाईवालापुरा अभयपुरा चाकण गरदढ़ा।
बाराँ
गोपालपुरा बिलास रताई कालीसोत इकलेरा छत्तरपुरा
बैंथली परवन लिफ्रट ल्हासी खिरिया सेमलीपफाटक।
भीलवाड़ा
अडवान
नाहर सागर मेजा सरेरी अरवंर खारी जैतपुरा पार्वती सागर।
बाँसवाड़ा
माही बजाज सागर बोरावनगढ़ी।
बाड़मेर
पचपदरा
बीकानेर
अनूपसागर सूरसागर कोलायत लूनकरणसर।
चित्तौड़गढ़
गंभीरी वागन ओराई बस्सी भूपालसागर बड़गांव पिण्ड
बांगदारी सिंहपुर।
डूँगरपुर
गैबसागर लाडीसर सोम-कमला-अम्बा।
दौसा
माधेसागर बाँध कालखसागर सैथलसागर झिलमिली मोरेल
देवांचली
धौलपुर
रामसागर उर्मिलासागर पार्बती
जयपुर
मानसागर देवयानी छापरवाड़ा घितौली बुचारा सांभर
झील पंच पहाड़ी
झुंझुनूँ
पन्नालाल शाह तालाब खेतड़ी समय तालाब पफतेहसागर
तालाब पिलानी का बिड़ला तालाब अजीत सागर
बाँध।
झालावाड़
भीमसागर खानपुर तहसील के ग्राम मऊ बोरदा के
निकट उजाड़ नदी पर निर्मित बंसखेड़ी डोबरा छापी चोली पृथ्वीपुरा चैलिया रेवा भीमणी
गुलंडी कालीखाड़ कनवाड़ा पिपलाद गागरिन
जोधपुर कायलाना सर प्रताप द्वारा निर्मित
उम्मेद सागर प्रताप सागर कैलाबा जसवन्तसागर बालसमन्द।
जालौर
बाँकली।
जैसलमेर
गढीसर अमरसागर बुझ झील
कोटा
कोटा बैराज कोटा बाँध जवाहर सागर बाँध किशोर
सागर तालाब छतरविलास
तालाब सूरसागर आलनिया लाडपुरा कोटा सावनभादों
सांगोद कोटा हरिशचन्द्र सागर बाँध किशनपुरा लिफ्रट आवाँ लाडपुरा दाताँ तकली नारायण
खेड़ा।
करौली
पाँचना कालीसिल खिरखिरी नींदर मामचारी जगर
बिशनसमंद
नागौर
कुचामन झील डीडवाना झील
पाली
हेमावास सरदारसमंद सेई जवाई खारदा रायपुर लूनी
मीठड़ी बानियावास राजसागर
राजसमंद
राजसमंद नंदसमंद अगरिया
सिरोही पश्चिमी बनास ओरा टैंक अंगोर नेवारा
सवाई माधेपुर
मोरेल सूरवाल ढील पांचोलास गलाई सागर बिनोरी
सागर भगवतगढ़ मानसरोवर
टोंक
गलवा माशी टोरडी सागर चांद सेन मोतीसागर
गलवानिया बीसलपुर बांध।
उदयपुर
उदयसागर स्वरूपसागर दूध्तलाई जयसमंद झील सोम
कागदर पफतेहसागर झील डाया बड़ी टैंक पिछोला मामेर रोहिणी।
प्रतापगढ़
जाखम बाँध जल सागर भँवर सेमला।
राजस्थान में सिंचाई एवं नदी घाटी परियोजनाएँ
राज्य में सिंचाई के प्रमुख साधन -
1. नलकूप व कुआं - 66 प्रतिशत
2. नहर - 31 प्रतिशत
3. तालाब-12 प्रतिशत
4. अन्य साधन -1.4 प्रतिशत।
कुओं व नलकूपों से सर्वाधिक सिंचाई जयपुर जिले
में होती है।
नहरों द्वारा सर्वाध्कि सिंचाई गंगानगर जिले
में होती है।
तालाबों द्वारा सर्वाध्कि सिंचाई भीलवाड़ा जिले
में की जाती है।
राज्य में झरनों में सर्वाध्कि सिंचाई बांसवाड़ा
जिले में होती है।
राजस्थान में सर्वाध्कि सिंचाई क्रमशः गंगानगर
व हनुमानगढ़ जिलों में तथा न्यूनतम राजसमंद जिले में होती है।
सिंचित क्षेत्रा के प्रतिशत के आधर पर चुरू
जिले में सबसे कम सिंचित क्षेत्रफल है।
राजस्थान की प्रमुख नहर एवं सिंचाई परियोजनाएं
1. गंग नहर
राजस्थान में वर्षा के अभाव को दूर करने के लिए
तत्कालीन महाराजा श्री गंगा सिंह बीकानेर ने गंगनहर का निर्माण
करवाया था।
26 अक्टूबर 1927 को गंगनहर का
उद्घाटन किया था।
महाराजा गंगसिंह ने 1927 में गंगनहर का
निर्माण करवाया था।
यह नहर प्ंाजाब के फिरोजपुर जिले के हुसैनीवाला
नमक स्थान से सतलज नदी से निकलती है।
गंगनहर की कुल लम्बाई 292 किमी. है।
गंगनहर गंगानगर जिले में खक्खा के पास प्रवेश
करती है।
इसकी मुख्य शाखाएँ लक्ष्मीनारायण जी लालगढ़
करणजी और समिया।
यह नहर गंगानगर को सिंचाई सुविध उपलब्ध कराती
है।
2. गंगनहर लिंक चैनल-
गंगनहर लिंक चैनल का उदगम हरियाणा में लौहगढ़
नामक स्थान से होता है। साधुवाली के निकट गंगनहर लिंक चैनल को गंगनहर से जोड़ा गया
है। इसकी लम्बाई 80 किमी है। लिंक चैनल के निर्माण का उद्देश्य
जर्जर हो चुके गंगनहर के पुननिर्माण के दौरान श्रीगंगानगर जिले में सिंचाई एवं
पीने के पानी आवश्यकता पूरा करना है।
3. भरतपुर नहर-
भरतपुर नहर का उदघाटन 1960
में हुआ परन्तु यह नहर 1963-64 में बनकर पूर्ण हुई। यह पश्चिमी यमुना
नगर से निकाली गई है। यह राजस्थान के पूर्वी क्षेत्र को सींचती है।
4. गुडगांव नहर-
गुडगांव नहर 1985 में शुरू की गई
थी। यह हरियाणा तथा राजस्थान की संयुक्त परियोजना है। भरतपुर की डीग तथा कामां
तहसील में सिंचाई का कार्य किया जाता है। यह नहर यमुना नदी से ओखला के निकट से
निकाली गई है। भरतपुर जिले की कामां तहसील में जुरहरा गांव के पास यह नहर राजस्थान
में प्रवेश करती है।
इस नहर का नाम वर्तमान में यमुना लिंक नहर
परियोजना का दिया है।
5. इंदिरा गांध्ी नहर परियोजना -
इंदिरा गांधी नहर परियोजना राजस्थान की ही नही
बल्कि भारत की प्रमुख सिंचाई परियोजना है। इंदिरा गांधी नहर परियोजना जिसे
प्रारम्भ में ‘राजस्थान नहर’ के रूप से
प्रारम्भ किया गया था। यह अपने आकार विस्तार सिंचाई क्षमता एवं क्षेत्राीय विकास
में योगदान की दृष्टि से विश्व की वृहद् परियोजना की श्रेणी में आती है।
इस परियोजना को राज्य की मरूगंगा मरूस्थल की
जीवनरेखा व प्रदेश की जीवनरेखा भी कहाॅ जाता है।
पूर्व नाम: राजस्थान नहर परियोजना।
2 नवम्बर 1984 को इसका नाम
इंदिरा गांधी नहर परियोजना रखा गया।
इंदिरा गांधी नहर के प्रणेता इंजीनियर श्री
कंवरसेन है।
उद्गम स्थल पंजाब में सतलज- व्यास नदियों के
संगम पर बने हरिके बैराज बांध से हुआ है।
इंदिरा गांधी नहर परियोजना का शिलान्यास 31
मार्च 1958 को तत्कालीन केन्द्रीय गृह मंत्री स्व. श्री गोविन्द वल्लभ पंत ने
किया।
इस परियोजना से राज्य के आठ जिले लाभांवित हो
रहे है-
श्री गंगानगर चूरू हनुमानगढ़ नागौर बीकानेर
जैसलमेर जोधपुर बाड़मेर।
इंदिरा गांधी नहर की कुल लम्बाई 649
किमी है।
इंदिरा गांधी नहर के दो भाग है:-
1. राजस्थान
फीडर 2. मुख्य नहर ।
इंदिरा गांधी नहर से 7 लिफ्रट नहरें
निकाली गई हैं-
वन सेना: नहर परियोजना क्षेत्रा में वृक्षारोपण
कार्य करने के लिए वन सेना गठित की गई है।
सेम समस्या: इंदिरा गांध्ी नहर क्षेत्रा में जल
उत्पादन से यह समस्या बढ़ती जा रही है। इसके निवारण के लिए जिप्सम का प्रयोग किया
जा रहा है।
1998 से जापान की ओ.ई.सी.एफ. संस्था के आर्थिक
सहयोग से वनारोपण व चारागाह विकास कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
नहर का अंतिम बिन्दु: गडरारोड़ बाड़मेर।
नहर पर ऊर्जा उत्पादन केन्द्र: पँगल बिरसलपुर
चारणवाला।
सबसे लम्बी लिफ्रट नहर: कंवरसेन लिफ्रट नहर 151.64
किमी. सबसे पहले बनने वाली लिफ्रट नहर