राजस्थान का अपवाह तंत्रा: नदियाँ एवं झील
राजस्थान मे चम्बल व माही के अतिरिक्त अन्य कोई
नदी बारहमासी
नहीं है।
राज्य में सबसे अधिक सतही जल चम्बल नदी में
उपलब्ध है।
राजस्थान की अधिकांश नदियों का अरावली पर्वत के
पूर्व में प्रवाह
क्षेत्रा है।
राज्य में बनास नदी का जलग्रहण क्षेत्रा सबसे
बड़ा है।
राज्य में सर्वाधिक नदियाँ कोटा संभाग में है।
राजस्थान की सबसे बड़ी नदी चम्बल है।
पूर्णतः राज्य में बहने वाली सबसे बड़ी नदी बनास
है।
भारत सरकार द्वारा राजस्थान भूमिगत जल बोर्ड की
स्थापना की
गई 1955 में इस बोर्ड का नियंत्राण राजस्थान सरकार को सौप
दिया। 1971 से इस बोर्ड को भू-जल विभाग के नाम से जाना
जाता ही। इसका कार्यालय जोधपुर है।
राज्य के पूर्णतः बहने वाली सबसे लंबी नदी तथा सर्वाधिक जलग्रहण
क्षेत्रा वाली नदी बनास है।
चम्बल नदी पर भैंसरोडगढ़ चित्तौड़गढ़ के निकट
चूलिया प्रपात
तथा माँगली नदी पर बूँदी में भीमलत प्रताप है।
सर्वाधिक जिलों में बहने वाली नदियाँ
चम्बल, बनास व लूनी।
प्रत्येक नदी 6 जिलों में बहती है।
अंतरराज्यीय सीमा राजस्थान व मध्यप्रदेश की
सीमाद्ध बनाने वाली राज्य की एकमात्रा नदी चम्बल है।
राज्य की
नदियों का क्षेत्रावार वर्गीकरण
उत्तरी व पश्चिमी राजस्थानः
लूनी, जवाई, सूकड़ी,
बाण्डी हेमावास, पालीद्ध, सागी,
जोजड़ी, घग्घर, काँतली, काकनी/काकनेय
मसूरदी।
दक्षिणी-पश्चिमी राजस्थानः
पश्चिमी बनास, साबरमती,
वाकल व सेई।
दक्षिणी राजस्थान:
माही, सोम, जाखम,
अनास, मोरेन।
दक्षिणी-पूर्वी राजस्थानः
चम्बल, कुनु, पार्वती,
काली सिंध, कुराल, आहू,
नेवज, परवन, मेज, आलनिया,
चाकण, छोटी काली सिंध, बामनी,
बनास, बेड़च, गंभीरी, कोठारी,
खारी, माशी, मोरेल, कालीसिल,
डाई, सोहादरा, ढीला।
राजस्थान की नदियों को तीन भागों में विभक्त
किया गया हैः-
1. बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ
- चम्बल, बनास, काली सिंध, पार्वती,
बाणगंगा, खारी, बेड़च, गंभीर
आदि नदियाँ अरावली के पूर्वी भाग में विद्यमान है। इनमें कुछ नदियों का उद्गम स्थल
अरावली का पूर्वी ढाल तथा कुछ का मध्यप्रदेश का विन्ध्याचल पर्वत है। ये सभी
नदियाँ अपना जल यमुना नदी के माध्यम से बंगाल की खाड़ी में ले जाती है।
2. अरब सागर में गिरने वाली नदियाँ
- माही, सोम, जाखम, साबरमती,
पश्चिमी बनास, लूनी आदि। पश्चिमी बनास व लूनी नदी
गुजरात में कच्छ के रन में विलुप्त हो जाती है।
3. अन्तः प्रवाहित नदियाँ
- उपरोक्त के अतिरिक्त कुछ छोटी नदियाँ भी हैं जो कुछ दूरी तक प्रवाहित होकर राज्य
में अपने प्रवाह क्षेत्रा में ही विलुप्त हो जाती हैं तथा जिनका जल समुद्र तक नहीं
जा पाता है, इन्हें आंतरिक जल प्रवाह की नदियाँ कहा जाता
है। ये नदियाँ हैं- काकनी, काँतली, साबी,
घग्घर, मेन्था, बाँडी,
रूपनगढ़ आदि।
राज्य में चुरू व बीकानेर ऐसे जिले हैं,
जहाँ कोई नदी नहीं हैं। गंगानगर में यद्यपि पृथक से कोई नदी नहीं है
लेकिन वर्षा होने पर घग्घर की बाढ़ का पानी सूरतगढ़ व अनूपगढ़ तक तथा कभी-कभी पफोर्ट
अब्बास बहावलपुर, पाकिस्तान तक चला जाता है। राज्य के लगभग 60
प्रतिशत भू-भाग पर आंतरिक जल प्रवाह प्रणाली का विस्तार हैं।
चम्बल
नदी
चम्बल नदी को राजस्थान की कामधेनु व चर्मण्वती
के नाम से
जानते है। चम्बल नदी का उद्भव मध्य प्रदेश में महु के निकट जनापाव की पहाड़ियों से
होता है जो कि विंध्य पर्वत श्रेणी का भाग है। चम्बल नदी
चैरासीगढ़ के निकट राजस्थान में प्रवेश करती है।
यह दक्षिणी पूर्वी राजस्थान - चित्तौड़गढ़,
कोटा, बूँदी, सवाई माधेपुर,
करौली व धैलपुर में बहती हुई इटावा उत्तर प्रदेश के निकट मुरादगंज के
समीप यमुना में मिल जाती है।
चम्बल नदी की कुल लम्बाई 1051
किमी. है। चूलिया जलप्रताप भैंसरोड़गढ़ चित्तौड़गढ़ में स्थित है जिसका
निर्माण चम्बल नदी करती है।
राज्य में सर्वाध्कि सतही जल चम्बल नदी में
उपलब्ध है तथा बीहड़ भी सर्वाधिक इसी नदी क्षेत्र में हैं। चम्बल
नदी द्वारा राज्य में सर्वाधिक अवनालिका अपरदन किया जाता है।
चम्बल की
सहायक नदियाँ -
मध्यप्रदेश में मिलने वाली - सीवान, रेतम,
शिप्रा।
राजस्थान में मिलने वाली - आलनिया, परवन,
बनास, कालीसिंध पार्वती, बामनी,
कुराल, मेज छोटी काली सिंध आदि बामनी नदी चम्बल में
भैंसरोड़गढ़ चित्तौड़गढ़ के निकट मिलती है। पार्वती नदी चम्बल में पालिया कोटाद्ध नामक
स्थान पर मिलती है। कालीसिंध नदी चम्बल में नौनेरा ;कोटा
नामक स्थान पर मिलती है।
चम्बल नदी पर चार बाँध बनाए गए है -
1. गांधी
सागर बांध मध्यप्रदेश की भानपुरा तहसील
2. राणा
प्रतापसागर बाँध रावतभाटा, चित्तौड़गढ़
3. जवाहर सागर बाँध बोराबास, कोटा
4. कोटा बैराज बाँध कोटा शहर
बनास नदी
बनास नदी को वन की आशा व वर्णशा भी कहते है। बनास
नदी को राजस्थान की यमुना भी कहते है।
बनास नदी अरावली की खमनौर की पहाड़ियों से
निकलती है। जो कि कुम्भलगढ़ से 5 किमी. कि दूर स्थित है।
बनास नदी की लम्बाई लगभग 512
किमी. यह पूर्णतः राज्य में बहने वाली सबसे लम्बी नदी है।
बनास नदी के तट के टोडारायसिंह कस्बे के निकट
बीसलपुर बाँध बनाया गया है।
सहायक नदियाँ- बेड़स, कोठारी,
खारी, मैनाल, बाण्डी,
मानसी ढूंढ, गम्भीरी, और मोरेल
है।
बेड़च नदी का प्राचीन नाम आयड़ नदी है। इसी नदी
का उदगम उदयपुर के उत्तर में गोगुन्दा की पहाड़ियों से होता है।
उदयपुर के निकट यह नदी आयड़ के नाम से जानी जाती
है। किन्तु उदय सागर से निकलने के पश्चात इसका नाम
बेड़च हो जाता है।
राजस्थान का अपवाह तंत्रा नदी, झील,
परियोजना निर्माण जयपुर यह चित्तौड़गढ़ जिले में प्रवाहित होती हुई
बीगोंद माण्डलगढ़-भीलवाड़ा के निकट बनास में मिल जाती
है।
सहायक नदियाँ- गंभीरी, गुजरी, वागन। गंभीरी नदी चित्तौड़गढ़ में बेड़च में मिलती है।
बाणगंगा
इसका उद्गम जयपुर जिले की बैराठ की पहाड़ियों से
होता है।
इसे अर्जुन की गंगा भी कहा जाता है। इसकी कुल
लम्बाई 240 किमी. है।
राजस्थान की दूसरी नदी बाणगंगा है जो अपना जल
सीधे ही यमुना नदी को ले जाती है।
इस नदी पर जयपुर में जमवा रामगढ़ बांध् बना हुआ
है।
इस नदी को ताला नदी के नाम से भी जाना जाता है।
काली सिंध्
इसका उद्गम देवास मध्य प्रदेश के पास बागली
गाँव की पहाड़ियों से होता है।
यह नदी झालावाड़ में रायपुर के निकट बिन्दा गाँव
से राजस्थान में प्रवेश करती है।
राजस्थान में यह झालावाड़ तथा कोटा में बहते हुए
नौनेरा कोटा नामक स्थान पर चम्बल नदी में मिल जाती है।
सहायक नदियाँ - आहु, परवन, निवाज व उजाड़।
पार्वती नदी
पार्वती नदी मध्य प्रदेश में विंध्य श्रेणी में
सीहोर क्षेत्र से निकलकर राजस्थान में यह बांरा में करयाहाट के निकट प्रवेश करती
है।
पार्वती नदी बारां व कोटा में बहती हुई सवाई
माधेपुर व कोटा सीमा पर पालिया गांव के निकट चम्बल में मिल जाती है इसका उदगम
भीलवाड़ा क्षेत्रा से होता है।
लाखेरी, बूँदी
नामक स्थान यह चम्बल नदी में मिल जाती है।
मांगली नदी पर ही प्रसि( भीमताल प्रपात है।
गंभीर नदी
यह बेड़च की सहायक नदी है जो कि मुख्यतया
चित्तौड़गढ़ जिले में बहती है।
इस नदी का उदग्म मध्यप्रदेश में विंध्यांचल की
पहाड़ियों से होता है।
बामनी नदी
इसका उदगम स्थल हरिपुरा चित्तौड़गढ़ है।
भैंसरोड़गढ़ चित्तौड़गढ़ के पास चम्बल में मिल जाती है।
गंभीर नदी
यह करौली जिले की सपोटरा तहसील की पहाड़ियों से
निकलती है।
यह सवाई माधेपुर, करौली,
भरतपुर जिलों में प्रवाहित होती है
विश्व प्रसि ( खानवा का युद्ध इसी नदी के
किनारे लड़ा गया था।
राजस्थान विशेष-
1 राजस्थान का अपवाह तंत्रा नदी, झील, परियोजना निर्माण जयपुर2 यह चित्तौड़गढ़ जिले में प्रवाहित होती हुई बीगोंद माण्डलगढ़-भीलवाड़ाद्ध के निकट बनास में मिल जाती है।
सहायक नदियाँ- गंभीरी, गुजरी, वागन। गंभीरी नदी चित्तौड़गढ़ में बेड़च में मिलती है।
बाणगंगा
इसका उद्गम जयपुर जिले की बैराठ की पहाड़ियों से होता है।इसे अर्जुन की गंगा भी कहा जाता है। इसकी कुल लम्बाई 240 किमी. है।
राजस्थान की दूसरी नदी बाणगंगा है जो अपना जल सीधे ही यमुना नदी को ले जाती है।
इस नदी पर जयपुर में जमवा रामगढ़ बांध बना हुआ है।
इस नदी को ताला नदी के नाम से भी जाना जाता है।
काली सिंध्
इसका उद्गम देवास मध्य प्रदेश के पास बागली गाँव की पहाड़ियों से होता है।यह नदी झालावाड़ में रायपुर के निकट बिन्दा गाँव से राजस्थान में प्रवेश करती है।
राजस्थान में यह झालावाड़ तथा कोटा में बहते हुए नौनेरा कोटा नामक स्थान पर चम्बल नदी में मिल जाती है।
सहायक नदियाँ - आहु, परवन, निवाज व उजाड़।
पार्वती नदी
पार्वती नदी मध्य प्रदेश में विंध्य श्रेणी में सीहोर क्षेत्र से निकलकर राजस्थान में यह बांरा में करयाहाट के निकट प्रवेश करती है।पार्वती नदी बारां व कोटा में बहती हुई सवाई माधेपुर व कोटा सीमा पर पालिया गांव के निकट चम्बल में मिल जाती है
मेज नदी
इसका उदगम भीलवाड़ा क्षेत्रा से होता है। लाखेरी बूँदी नामक स्थान यह चम्बल नदी में मिल जाती है।मांगली नदी पर ही प्रसि ( भीमताल प्रपात है।
गंभीर नदी
यह बेड़च की सहायक नदी है जो कि मुख्यतया चित्तौड़गढ़ जिले में बहती है।इस नदी का उदग्म मध्यप्रदेश में विंध्यांचल की पहाड़ियों से होता है।
गंभीर नदी
यह करौली जिले की सपोटरा तहसील की पहाड़ियों से निकलती है।यह सवाई माधेपुर करौली भरतपुर जिलों में प्रवाहित होती है
विश्व प्रसि( खानवा का युद्ध( इसी नदी के किनारे लड़ा गया था।
बामनी नदी
इसका उदगम स्थल हरिपुरा चित्तौड़गढ़ है।भैंसरोड़गढ़ चित्तौड़गढ़ के पास चम्बल में मिल जाती है।
कोठारी नदी
राजसमंद जिले के दिवेर नामक स्थान से निकलती है तथा भीलवाड़ा जिले में बनास में मिल जाती है।इस नदी पर मेज बाँध बनाया गया है जो भीलवाड़ा जिले को पयेजल उपलब्ध कराता है।
खारी नदी
यह राजसमंद जिले के बीजराल गांव के पास की पहाड़ियों से निकलती है तथा देवगढ़ के समीप से होती हुई अजमेर जिले में बहने के पश्चात् देवली टोंक के पास बनास नदी में मिल जाती है।लुनी नदी
अरावली श्रेणी के नाग पहाड़ अजमेर से निकल कर कच्छ के रन में गिरती है।इस नदी को साक्री लवणवती लवणाद्रि खारी-मीठी नदी के नाम से भी जाना जाता है।
यह अजमेर से निकलकर दक्षिणी-पश्चिमी राजस्थान नागौर पाली जोधपुर बाड़मेर जालौर में बहकर कच्छ के रन में जाकर विलुप्त होती है। इसके उद्गम स्थल पर इसको सागरमती फिर सरस्वती और बाद में लूनी कहते है।
लूनी नदी का जल बलोतरा तक मीठा है। लेकिन इसके पश्चात् इसका जल खारा हो जाता है।
जोधपुर के जसंवत सागर बांध पिचियाक बांध में पानी की आपूर्ति लूनी नदी से होती है।
लूनी नदी के बाढ़ के क्षेत्र को जालोैर जिले में रेल नेड़ा कहा जाता है।
सहायक नदियाँ-
लीलड़ी सूकड़ी बांडी मीठड़ी जोजरी जवाई सगाई आदि। दाई और से मिलने वाली एकमात्रा सहायक नदी जोजड़ी है।
सागरमती सरस्वती लूनी
माही नदी
उद्गम स्थल -अममोरू की पहाडियाँ मध्य प्रदेश की कुल लम्बाई-576 किमीइसे आदिवासियों की गंगा वागड़ की गंगा कांठल की गंगा तथा दक्षिण राजस्थान की स्वर्ण रेखा कहते है।
बांसवाड़ा जिले के खांटू ग्राम से राजस्थान में प्रवेश करती है। कर्क रेखा को दो बार काटती है।
राजस्थान की दूसरी बारहमासी नदी मानी जाती है। नावाटापरा डूंगरपूर में सोम- माही- जाखम का त्रिवेणी संगम होता है।
सहायक नदियाँ -सोम जाखम अनास आदि।
सोम नदी
सोम नदी का उदग्म स्थल उदयपुर जिले के ऋषभदेव के पास बाबलवाड़ा के जंगलों में स्थित बीछामेड़ा की पहाड़ियों से है।सहायक नदियाँ - जाखम गोमती सारनी।
जाखम नदी
जाखम नदी प्रतापगढ़ जिले में छोटी सादड़ी से निकलती है यह धरियावाद के निकट सोम नदी में मिलती है।साबरमती
उदयपुर के दक्षिणी-पश्चिमी से निकलकर उदयपुर एवं सिरोही जिलों में प्रवाहित होकर गुजरात में प्रवेश कर खम्भात की में गिरती है। यह गुजरात की मुख्य नदी है। राजस्थान में इस नदी का अपवाह क्षेत्र न्यूनतम है
गुजरात का अहमदाबाद शहर इसी नदी के किनारे स्थित है।
इस नदी के किनारे महात्मा गांधी का साबरमती आश्रम है।
सहायक नदियाँ- बाकल हथमति मेश्वा।
राजस्थान विशेष- राजस्थान का अपवाह तंत्र नदी झील परियोजना निर्माण जयपुर पश्चिम बनास
इस नदी का उदग्म सिरोही जिले के नया सानावारा गाँव के निकट अरावली की पहाड़ियों से होता है।
पश्चिमी बनास नदी सिरोही में बहती हुई बनास काँठा जिले गुजरात में प्रवेश करती है और फिर लिटिन रन कच्छ की खाड़ी में विलुप्त हो जाती है।
सूकड़ी नदी
सूकड़ी नदी अरावली पर्वत श्रृंखला के पश्चिमी ढाल के देसूरी के निकट से निकलती है।पाली और जालौर में प्रवाहित होती हुई बाड़मेर जिले में बहकर समदड़ी के निकट लूनी नदी में मिल जाती है।
राज्य के 60 प्रतिशत भाग पर आंतरिक प्रवाह प्रणाली पाई जाती है।
कान्तली नदी
सीकर जिले की खण्डेला की पहाड़ियों से निकलती है।इसके पश्चात लगभग 100 किमी. की दूरी तक सीकर झुंझुनू जिलों में बहती हुई चुरू जिले की सीमा पर विलुप्त हो जाती है। कान्तली का बहाव क्षेत्रा तोरावाटी कहलाता है।
कान्तली के किनारे राजस्थान की प्राचीन गणेश्वर सभ्यता विकसित हुई थी।
घग्घर नदी
घग्घर नदी को मृत नदी भी कहते है। इसे नट नदी/हकरा/सौतांग व वैदिक नदी के नाम से भी जाना जाता है।इसका उद्गम हिमालय की शिवालिक पहाड़ियों से कालका नामक स्थान से होता है।
राजस्थान में यह हनुमानगढ़ जिले की टिब्बी तहसील के तलवाड़ा गांव के पास प्रवेश कर हनुमानगढ़ में बहती हुई भटनेर के पास विलुप्त हो जाती है। घग्घर नदी का प्राचीन नाम सरस्वती/ द्वषद्वती है।
राजस्थान की प्राचीन सभ्यता कालीबंगा इस नदी के किनारे विकसित हुई थी।
बाढ़ आने की स्थिति में घग्घर नदी पफोर्ट अब्बास पाकिस्तान चली जाती है।
कांकनी/काकनेय नदी
इसका उद्गम जैसलमेर में लगभग 27 किमी. दक्षिण में कोटरी गांव से होता है। कुछ दूरी बहने के बाद यह नदी विलुप्त हो जाती है। अच्छी बरसात होने पर यह काफी दूर तक बहती है।तब यह नदी मसुरदी के नाम से जानी जाती है तथा बुझ झील का निर्माण करती है।
रूपारेल नदी
इसका उद्गम स्थल अलवर जिल की थानागाजी तहसील उदयनाथ की पहाड़ियाँ से हैं।इसे लसवारी नदी भी कहते हैं तथा स्थानीय क्षेत्रा में इसे वराह नदी’ भी कहाॅ जाता है।
यह नदी भरतपुर जिले में समाप्त होती है।
साबी नदी
यह अलवर जिले के सबसे बड़ी नदी है।जयपुर जिले की सेवर पहाड़ियों से निकलकर बानसूर बहरोड़ मण्डावर किशनगढ़ तिजारा तहसीलों में बहने के बाद हरियाणा के पटौदी के निकट नजपफगढ़ झील में मिल जाती है।
मंथा नदी
जयपुर जिले के मनोहरपुर से निकलकर सांभर झील में गिरती है।रूपनगढ़ नदी
सलेमाबाद अजमेर के निकट से निकलकर उत्तर-पश्चिम की ओर बहते हुए सांभर झील में गिर जाती है।