राजस्थान के भौतिक विभाग या भू-आकृतिक प्रदेश, राजस्थान के प्रमुख पर्वत पहाड़ियाँ व पठार, अन्य चोटियाँ


राजस्थान के भौतिक विभाग या भू-आकृतिक प्रदेश



राजस्थान विश्व के प्राचीनतम भू-खंड़ों  का अवशेष हैं प्राक्- ऐतिहसिक काल (इयोसीन काल व प्लीस्टोसीन काल ) मे विश्व दो भूखंडों (अ) अंगारालैण्ड व (ब) गौंडवाना लैण्ड में विभक्त था जिनके मध्य टेथिस सागर(इयोसिनकाल व प्लीस्टोसीन काल के प्रारंभ तक )विस्तृत था। राजस्थान मे उतरी पश्चिमी मरू प्रदेश व पूर्वी मैदान इसी टेथिस महासागर के अवशेष माने जाते है। जो कालान्तर में नदियों द्वारा लाई गई तलछट मिट्टी के द्वारा पाट दिए गए है। राज्य के अरावली पर्वतीय एवं दक्षिणी-पूर्वी पठारी भाग गौंठवाना लैण्ड के हिस्से है। राजस्थान को जलवायु व धरातल के अंतरों के आधार पर मुख्यतः निम्न चार भौतिक विभागों में बांटा जा सकता है।

      उतर-पश्चिमी मरूस्थीलय भाग (North- Western Desert)
        मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय प्रदेश
        पूर्वी मैदानी भाग
        दक्षिणी -पूर्वी पठारी भाग




राजस्थान के प्रमुख पर्वत पहाड़ियाँ व पठार



गुरू शिखर :-


अरावली की पहाड़ियो में माउण्ट आबू (सिरोही) में स्थित राजस्थान की सबसे ऊँची पर्वत चोटी इसकी ऊँचाई 1722 मीटर है। यह हिमालय व पश्चिम घाट की नीलगिरी के मध्य स्थित सर्वाधिक ऊँची चोटी है। कर्नल टॉड ने इसे संतो का शिखर कहा है।

सेर(सिरोही-

1597 मीटर ऊँची राज्य की दूसरी सबसे ऊँची चोटी एवं दिलवाड़ा (1442 मी.) राज्य की तीसरी सबसे ऊँची पर्वत चोटी।


जरगा(उदयपुर)


1431 मीटर ऊँची राज्य की दूसरी सबसे ऊँची चोटी जो भोरट के पठार में स्थित है। मेसा पठार (620 मी.ऊँचा) पर चितौड़गढ़ का किला स्थित है। अचलगढ़(सिरोही)

1380 मीटर ऊँची पर्वत श्रेणी।रघुनाथगढ़(सीकर) 1055 मीटर खौ- 920 मी तारागढ़- 873 मीटर


मुकुन्दवाड़ा की पहाड़ियाँः-


कोटा व झालारापाटन(झालावाड़) के बीच स्थित इस भू-भाग का ढाल दक्षिण से उतर की ओर है। अतः चम्बल नदी दक्षिण से उतर की ओर बहती है।

मालखेत की पहाड़ियाँ


सीकर जिले की पहाड़ियों का स्थानीय नाम। हर्ष की पहाड़ियाँ सीकर जिले मे स्थित है। जिस पर जीणमाता का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है।


सुण्डा पर्वत


भीनमाल(जालौर) के निकट स्थित पहाड़ियाँ, जिनमें सुण्डा माता का मंदिर स्थित है। इस पर्वत पर 2006 में राज्य का पहला रोप वे प्रारंभ किया गया है।


मलाणी पर्वत श्रृँखला


लूनी बेसिन का मध्यवर्ती घाटी भाग, जो मुख्यतः जालौर एवं बालोतरा के मध्य स्थित है।


उड़ियां पठार


राज्य का सबसे ऊँचा पठार, जो गुरू शिखर से नीचे स्थित है। यह आबू पर्वत से 160 मीटर ऊँचा है।


आबू पर्वत


आबू पर्वत खंड का दूसरा सगसे ऊँचा पठार(उड़िया पठार के बाद) जिसकी औसत ऊँचाई 1200 से अधिक मीटर है। यहीं पर टॉड रोक एवं हार्न रोक स्थित है।


भोरठ का पठार


आबू पर्वत खंड के बाद राज्य का उच्चतम पठार, जो उदयपुर के उतर पश्चिम में गोगुन्दा व कुम्भलगढ़ के बीच स्थित है। इसकी औसत ऊँचाई 1225 मी. है।


भाकर


पूर्वी सिरोही क्षेत्र में अरावली की तीव्र ढाल वाली व ऊबड-खाबड़ कटक (पहाड़ियां) स्थानीय भाषा में भाकर नाम से जानी जाती है।राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कक्षा 9 की पुस्तक राजस्थान अध्ययन के अनुसार राज्य की 6 सबसे ऊँची पर्वत चोटियाँ है।

1.            गुरू शिखर(1722 मी.)
2.            सेर (1597 मी.)
3.            दिलवाड़ा(1442 मी.)
4.            जरगा(1431 मी.)
5.            अचलगढ़(1380 मी.)
6.            आबू(1295 मी.)


अन्य चोटियाँ


कुंभलगढ़ (1224 मी.)



कमलनाथ की पहाड़ी(1001 मी.)
ऋषीकेश(1017 मी.) 
सज्जनगढ़(938 मी.) 
लीलागढ़(874 मी.)


गिरवा:-


उदयपुर क्षेत्र में तश्तरीनुमा आकृति वाले पहाड़ों की मेखला(श्रृंखला) को स्थानीय भाषा में गिरवा कहते है।


मेरवाड़ा की पहाड़ियाँ -


अरावली पर्वत श्रेणियाँ का टाडगढ़ के समीप का भाग जो मारवाड़ के मैदान को मेवाड़ के उच्च पठार से अलग करता है।


छप्पन की पहाड़ियाँ व नाकोड़ा पर्वत:-


बाड़मेर में सिवाणा पर्वत क्षेत्र में स्थित मुख्यतः गोलाकार पहाड़ियाँ। इन्हें नाकोड़ा पर्वत के नाम से भी जाना जाता है।


लासड़िया का पठारः-


उदयपुर में जयसंमद से आगे पूर्व की ओर विच्छेदित व कटापटा पठार ।


त्रिकूट पहाड़ी:-


जैसलमेर किला इसी पर स्थित है।


उपरमालः-


चितौड़गढ़ के भैसरोड़गढ़ से भीलगड़ा के बिजोलिया तक का पठारी भाग रियासत काल में उपरमाल के नाम से जाना जाता था।

चिडियाटूक पहाड़ी पर जोधपुर का मेहरानगढ़ किला है।

तारागढ़(अजमेर) नाग पहाड़(अजमेर) मध्य अरावली की सबसे ऊँची चोटी हैं। टाडगढ़(गोरमजी/मायरजी) 933 गज।


आडावाला पर्वत:-


बूँदी जिले में स्थित है।


भैराच एवं उदयनाथ:- 


अलवर में स्थित पहाड़ियाँ।


मगरा:-


उदयपुर का उतर पश्चिम पर्वतीय भाग । यहीं जरगा पर्वत चोटी स्थित है।खो जयपुर जिले में व बाबाई(झुँझुनूँ) में स्थित पहाड़ियाँ।


डोरा पर्वत (869 मी.) -


जसवंतपुरा पर्वतीय क्षेत्र जालौर में स्थित।रोजाभाखर(730 मी.) इसराना भाखर(839 मी.) एवं झारोला पहाड़ ये सभी जालौर पर्वतीय क्षेत्र(जसवंतपुरा की पहाड़ियाँ) में स्थित है।


नालः-


अरावली श्रेणियों के मध्य मेवाड़ क्षेत्र में स्थित तंगरास्तों(दर्रों) को स्थानीय भाषा में नाल कहते है।


मेवाड़ में प्रमुख नालें -


जीलवा की नाल (पगल्या नाल) - यह मरवाड़ से मेवाड़ में आने का रास्ता प्रदान करती है।


सोमेश्वर की नालः-


देसूरी से कुछ मील उतर में स्थित विकट तंग दर्रा।


हाथी गुड़ा की नाल:-


देसूरी से दक्षिण में 5 मील दूरी पर स्थित नाल । कंुभलगढ़ का किला इसी नाल के नजदीक है।ब्यावर तहसील में अरावली के 4 दरें हैं जो है

बर का दर्रापरवेरिया का दर्राशिवपुर घाट का उर्रासूरा घाट दर्रा


जसवन्तपुरा की पहाड़ियाँ:-


आबू क्षेत्र के पश्चिम में जालौर तक स्थित पहाड़ियाँ। डोरा पर्वत चोटी यहीं स्थित है।

महत्वपूर्ण तथ्यः-


पश्चिमी शुष्क रेतीला मैदान पाकिस्तान सीमा के सहारे-सहोर कच्छ की खाड़ी से पंजाब तक विस्तृत है। यह मरूस्थल विश्व का एक मात्र मरुस्थल है। जो दक्षिणी-पश्चिमी मानसून हवाओं के द्वारा निर्मित है।


खादरः- 

चंबल बेसिन में 5 से 30 मीटर गहरी खड्ड युक्त बीहड़ भूमि को स्थानीय भाषा में खादर कहते हैं।


बरखान:- 

रेगिस्थान में रेत के अर्द्धचन्द्राकार बड़े-बड़े टीले । ये एक स्थान से दूसरे स्थान पर गतिशीज रहते है।


धोरे:- 

रेगिस्तान में रेत के  बड़े-बड़े टीले जिनकी आकृति लहरदार होती हैं।


लघु मरुस्थलः-


महान भार मरुस्थल का पूर्वी भाग जो कच्छ से बीकानेर तक फैला है।

बीहड़ भूमि या कंदराएँ-


चम्बल नदी के द्वारा मिट्टी के भारी कटाव के कारण प्रवाह क्षेत्र मे बन गई गहरी घाटियाँ व टीले राजस्थान में सर्वाधिक बीहड़ भूमि धौलपुर जिले में है। राजस्थान व मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिले भिण्ड, मुरैना, धौलपुर आदि में ये कंदराएँ(Ravines) बहुत है।


खड़ीनः-


जैसलमेर के उतर दिशा में बड़ी संख्या में स्थित प्लाया झीलें जो प्रायः निम्न कागारों से घिरी रहती है ।


धरियनः-


जैसलमेर जिले के ऐसे भू-भाग में, जहाँ आबादी लगभग नगण्य है। स्थानान्तरित बालूका स्तूपों को स्थानीय भाषा में धरियन नाम से पुकारते है।


वागड़़(वाग्वर) -


बाँसवाड़ा,प्रतानगढ़ व डूँगरपुर के क्षेत्र को स्थानीय भाषा में वागड़(वाग्वर) कहते है।


बांगड़(बांगर) -


यह अरावली पर्वत एवं पश्चिमी मरुस्थल के मध्य का भाग है। जो मुख्यतः झुंझुनूँ सीकर व नागौर जिले में विस्तृत है।


छप्पन के मैदानः-


बाँसवाड़ा, डुगरपुर व प्रतापगढ़ के बीच माही बेसिन में 56 ग्राम समूहों (56 नदी नालो का प्रवाह क्षेत्र) का क्षेत्र।


पीडमान्ट मैदानः-


अरावली श्रेणी में देवगढ़ के समीप स्थित पृथक निर्जन पहाड़ियाँ जिनके उच्च भू-भाग टीलेनुमा है।


बीजासण का पहाड़ः-


मांडलगढ़ के कस्बे के पास स्थित है।


विन्ध्याचल पर्वत:-


राजस्थान के दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश में स्थित है।


लाठी सीरीज क्षेत्रः-


जैसलमेर मे पोकरण से मोहनगढ़ तक पाकिस्तानी सीमा के सहारे विस्तृत एक भूगर्भीय जल की चैड़ी पट्टी जहाँ उपयोगी सेवण घास अत्यधिक मात्रा में पाई जाती हैं।


कूगड़ पट्टीः-


राजस्थान के नागौर जिले एवं अजमेर जिले के कुछ क्षेत्रों में भूगर्भीय पानी में फ्लोराइड की मात्रा अत्यधिक होने के कारण वहाँ के निवासियों की हड्डियों में टेड़ापन आ जाता हैं एवं पीठ झुक जाती है। इसलिए इसे कूबड़ पट्टी कहते है। 



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